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Tuesday, 15 December 2015

सबको गले लगा के रखना


सबको गले लगा के रखना
ग़म सबसे छुपा के रखना

भले तुम बिखर जाओ,पर
घर अपना सज़ा के रखना

जाने कब कौन काम आये
रिश्ता सबसे बना के रखना

राही कोई भटकने न पाये
शाम,दिया जला के रखना

लाख कोई कांटे बोये, तुम
फूल इक खिला के रखना

मुकेश इलाहाबादी -------

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