सिर्फ
बहुत सारी नदियों को
ख़ुद में समाहित कर लेने भर से ही
समंदर नहीं हो जाता कोई
समंदर
होने के लिए
ख़ुदा को खारा होने के लिए
तैयार होना पड़ता है
समंदर होने के लिए
अपने अंदर सिर्फ हीरे मोती ही नहीं
सीप , घोंघे , शैवालों को भी समोना होता है
समंदर होने के लिए
अपने अंदर निर्विकार हो के
रंग बिरंगी मछलियां ही नहीं
मगरमच्छों और घड़ियालों को भी
पनाह देना होता है
समंदर होने के लिए
कभी बेहद शांत और कभी
तूफानी भी बनना पड़ता है
समंदर होने के लिए
अपने से बहुत दूर
बहुत छोटे से चाँद के इशारे पे
अपनी गंभीरता छोड़
चंचल भी होना पड़ता है
समंदर होने के लिए
बहुत बहुत अकेला भी होना होता है
समंदर होना भी इतना आसान कहाँ होता है ?
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
बहुत सारी नदियों को
ख़ुद में समाहित कर लेने भर से ही
समंदर नहीं हो जाता कोई
समंदर
होने के लिए
ख़ुदा को खारा होने के लिए
तैयार होना पड़ता है
समंदर होने के लिए
अपने अंदर सिर्फ हीरे मोती ही नहीं
सीप , घोंघे , शैवालों को भी समोना होता है
समंदर होने के लिए
अपने अंदर निर्विकार हो के
रंग बिरंगी मछलियां ही नहीं
मगरमच्छों और घड़ियालों को भी
पनाह देना होता है
समंदर होने के लिए
कभी बेहद शांत और कभी
तूफानी भी बनना पड़ता है
समंदर होने के लिए
अपने से बहुत दूर
बहुत छोटे से चाँद के इशारे पे
अपनी गंभीरता छोड़
चंचल भी होना पड़ता है
समंदर होने के लिए
बहुत बहुत अकेला भी होना होता है
समंदर होना भी इतना आसान कहाँ होता है ?
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-12-2019) को "यीशू को प्रणाम करें" (चर्चा अंक-3560) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'