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Monday, 30 January 2012

छोटी की मनुहार

छोटी की मनुहार
पापा मुझको इक भाई ला दो
कुछ  नहीं  तो  गुड्डा  ला  दो
फिर सुंदर सी इक राखी लाऊँ
उसको अपना  भाई   बनाऊँ
रोरी अक्षत - तिलक लगाऊँ
लड्डू, बर्फी  खूब  खिलाऊँ
दीदी बन कर रौब जमाऊँ
क  ख  ग  घ  उसे  पढाऊँ
न माने जब कहना मेरा
कान पकड़ कर करू खिचाई  
फिर टाफी देकर उसे मनाऊँ
पापा मुझको इक भाई ला दो
कुछ नहीं तो गुड्डा ला दो

मुकेश इलाहाबादी

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