छोटी की मनुहार
पापा मुझको इक भाई ला दो
कुछ नहीं तो गुड्डा ला दो
फिर सुंदर सी इक राखी लाऊँ
उसको अपना भाई बनाऊँ
रोरी अक्षत - तिलक लगाऊँ
लड्डू, बर्फी खूब खिलाऊँ
दीदी बन कर रौब जमाऊँ
क ख ग घ उसे पढाऊँ
न माने जब कहना मेरा
कान पकड़ कर करू खिचाई
फिर टाफी देकर उसे मनाऊँ
पापा मुझको इक भाई ला दो
कुछ नहीं तो गुड्डा ला दो
मुकेश इलाहाबादी
पापा मुझको इक भाई ला दो
कुछ नहीं तो गुड्डा ला दो
फिर सुंदर सी इक राखी लाऊँ
उसको अपना भाई बनाऊँ
रोरी अक्षत - तिलक लगाऊँ
लड्डू, बर्फी खूब खिलाऊँ
दीदी बन कर रौब जमाऊँ
क ख ग घ उसे पढाऊँ
न माने जब कहना मेरा
कान पकड़ कर करू खिचाई
फिर टाफी देकर उसे मनाऊँ
पापा मुझको इक भाई ला दो
कुछ नहीं तो गुड्डा ला दो
मुकेश इलाहाबादी
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