आओ कल्पना करें
कैसा होगा
नए युग की कविता
का चेहरा
हो जायेगी कविता पुनः
छंद बद्ध- लय बद्ध
या रहेगी अतुकांत
इसी तरह
या फिर हो जायेगा
कविता का चेहरा
आज की दुनिया जैसा
भाव शून्य, संवेदना शून्य
या,
होगी कविता
कम्प्यूटर की भाषा
कोबोल और पश्कल की तरह
लय, छंद, भाव, ताल
सभी कुछ फीड होंगे जिसमे
बिट और बाईट की तरह
मुकेश इलाहाबादी
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