Doston
कभी किसी रोज़ किसी अच्छी लगने वाले सूरत से निम्न पंक्तियाँ कही थी.
और वोह मोहतरमा नाराज़ हो गयी थी.
क्या आप बातायेंगे की इसमें क्या नाराज़ होने की कोई बात है ?
तुम
खट मिट्ठी गोली हो
जिसमे चेहरे का नमक
व ढेर सारा प्यार रचा बसा है
जिसे देखकर मुह में पानी आ जाता है
लगता है तुम भी गोली सा घुल जाओ
ताकी आनंद स्वाद और महक के साथ
मै भी हो जाऊ तुम्हारी तरह
खट मिट्ठा
मुकेश इलाहाबादी
कभी किसी रोज़ किसी अच्छी लगने वाले सूरत से निम्न पंक्तियाँ कही थी.
और वोह मोहतरमा नाराज़ हो गयी थी.
क्या आप बातायेंगे की इसमें क्या नाराज़ होने की कोई बात है ?
तुम
खट मिट्ठी गोली हो
जिसमे चेहरे का नमक
व ढेर सारा प्यार रचा बसा है
जिसे देखकर मुह में पानी आ जाता है
लगता है तुम भी गोली सा घुल जाओ
ताकी आनंद स्वाद और महक के साथ
मै भी हो जाऊ तुम्हारी तरह
खट मिट्ठा
मुकेश इलाहाबादी
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