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Monday, 13 February 2012

जब भी फुर्सत मिले, तब तुम आना




बैठे ठाले की तरंग -------------

जब भी फुर्सत मिले, तब तुम आना
मै यंही बैठा  हूँ, तुम  यंही  आना
मेरे पास सिवा इंतज़ार के कुछ भी नहीं
जब फुर्सत मिले तब तुम आना

मुकेश इलाहाबादी -------------------

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