Pages

Thursday, 9 February 2012

जाने किस बदहवासी में

बैठे ठाले की तरंग ----------------------
जाने किस बदहवासी में जिए जाता हूँ
सुबो  ऑ  शाम  बेहिसाब पिए जाता हूँ
जानता  हूँ तू न आयेगी  मुझसे मिलने
फिर  क्यूँ  तेरा  इंतज़ार  किये जाता हूँ
 
मुकेश इलाहाबादी ------------------------

No comments:

Post a Comment