तेरे हुस्न का शिकार हूँ मै
तेरे हुस्न का शिकार हूँ मै
जज़्बएइश्क का बीमार हूँ मै
वैसे तो इंसान बहुत काम का
फिर भी मुद्दतों से बेकार हूँ मै
हर बार मैंने ही मात खाई है
समझता हूँ, कि हुशियार हूँ मै
प्रेम से रहोगे तो शिर झुकाऊँगा
वरना तबियत का खुद्दार हूँ मै
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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