Pages

Wednesday, 15 February 2012

तेरे हुस्न का शिकार हूँ मै


तेरे हुस्न का शिकार हूँ मै
जज़्बएइश्क का बीमार हूँ मै

वैसे तो इंसान बहुत काम का
फिर भी मुद्दतों से बेकार हूँ मै

हर बार मैंने ही मात खाई है
समझता हूँ, कि हुशियार हूँ मै

प्रेम से रहोगे तो शिर झुकाऊँगा
वरना तबियत का खुद्दार हूँ मै

मुकेश इलाहाबादी ---------------

No comments:

Post a Comment