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Monday, 20 February 2012

समर के साथ दरख़्त भी कट जाएगा

बैठे ठाले की तरंग ----------- 


समर के साथ दरख़्त भी कट जाएगा
तब ये परिंदों का शहर, कंहा जाएगा ?

पर   नहीं   परिंदे   का   हौसला  देखना
जंहा  आसमां  की  हद  है वंहा जाएगा 

परिंदा है,  फलक  में  कब तलक रहेगा
फलक मेंआज़ादी है ज़रूर वंहा जाएगा
मुकेश इलाहाबादी ----------------------

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