समर के साथ दरख़्त भी कट जाएगा
बैठे ठाले की तरंग -----------
समर के साथ दरख़्त भी कट जाएगा
तब ये परिंदों का शहर, कंहा जाएगा ?
पर नहीं परिंदे का हौसला देखना
जंहा आसमां की हद है वंहा जाएगा
परिंदा है, फलक में कब तलक रहेगा
फलक मेंआज़ादी है ज़रूर वंहा जाएगा
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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