एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 22 February 2012
इतनी नहीं पी कि
बैठे ठाले की तरंग ---------
इतनी नहीं पी कि रुसवा ऐ ज़माना किया जाए
गुज़रे थे मैक़दे से, सोचा थोड़ी चख लिया जाए
मुकेश इलाहाबादी -----------
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