ज़िन्दगी ने हमको सताया बहुत
बैठे ठाले की तरंग ----------------
ज़िन्दगी ने हमको सताया बहुत
मौत ने भी हमको रुलाया बहुत
जब तक गुलों के साए में रहा
गुलशन ने हमको हंसाया बहुत
मंजिल तो हमने अब तक न पायी
लेकिन सफ़र ने हमें थकाया बहुत
थके हुए थे बहुत, ताज़ा दम हो गए
चांदनी में शब् भर,हमने नहाया बहुत
नींद न आयी किसी करवट, रात भर
उनकी यादों ने हमको जगाया बहुत
मुकेश इलाहाबादी --------------------
खूबसूरत गज़ल..................
ReplyDeleteथके हुए थे बहुत, ताज़ा दम हो गए
चांदनी में शब् भर,हमने नहाया बहुत
बहुत बढ़िया.........