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Monday, 9 April 2012

ज़िन्दगी ने हमको सताया बहुत

बैठे ठाले की तरंग ----------------

ज़िन्दगी ने हमको सताया बहुत
मौत ने भी हमको रुलाया बहुत

जब तक गुलों के साए में रहा
गुलशन ने हमको हंसाया बहुत

मंजिल तो हमने अब तक न पायी
लेकिन सफ़र ने हमें थकाया बहुत

थके हुए थे बहुत, ताज़ा दम हो गए
चांदनी में शब् भर,हमने नहाया बहुत

नींद न आयी किसी करवट, रात भर
उनकी यादों ने हमको जगाया बहुत

मुकेश इलाहाबादी --------------------

1 comment:

  1. खूबसूरत गज़ल..................

    थके हुए थे बहुत, ताज़ा दम हो गए
    चांदनी में शब् भर,हमने नहाया बहुत

    बहुत बढ़िया.........

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