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Sunday, 15 April 2012

अनछुए गीतों की अनगूंज तुम्हारी बातों में

बैठे ठाले की तरंग -----------------------------

अनछुए गीतों की अनगूंज तुम्हारी बातों में
शुभ्रलहर गंगा की झलक तुम्हारी आखों में

श्यामल श्यामल कुंतल केश  जब  लहराओं
घनघोर घटा सी छा जाती हैं चार दिशाओं में

जब तुम पहनो चूड़ी,कंगना और लगाओ बेंदी
भरपूर नशा छा जाए  है  मेरी हर  शिराओं में

मुकेश इलाहाबादी -----------------------------

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