Pages

Monday, 16 April 2012

मेरी आखों के चिलमन से पढ़ सको तो पढ़ लेना

बैठे ठाले की तरंग ------------------------------------
 

मेरी आखों के चिलमन से पढ़ सको तो पढ़ लेना , वरना 
हमने एहसासों को खामूशी के चिलमन में सजा रक्खा है 
 

मुकेश इलाहाबादी --------------------------------------------

No comments:

Post a Comment