एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Wednesday, 25 April 2012
कुछ देर को इधर भी गौर फरमाएं
बैठे ठाले की तरंग ------------------
कुछ देर को इधर भी गौर फरमाएं
हमारी तरफ भी मुखातिब हो जाएँ
गर्मियों के आग से जलते दिनों में
थोड़ी सी छांह हमें भी बख्श जाएँ
मुकेश इलाहाबादी ----------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment