नज़रें बदल गयी, या नज़ारे बदल गए ?
बैठे ठाले की तरंग ------------------------
नज़रें बदल गयी, या नज़ारे बदल गए ?
चाँद तो वही है, क्या सितारे बदल गए ?
गुम हुआ घर अपना ढूंढता हूँ यंहा,
शहर तो वही है, या फिर रास्ते बदल गए ?
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
No comments:
Post a Comment