आज भी दिन पिघलेगा
आज फिर बरसात होगी
लम्हा लम्हा मुस्कुराएगा
जब तुमसे मुलाक़ात होगी
फिर आसमा ज़मीं चूमेगा
फिर चांदनी बिखर जायेगी
कायनात भी थिरक उट्ठेगा
जब तुम पायल खनकाओगी
आज फिर ज़माना जल उठेगा
जब तुम बाँहों में मुस्कुराओगी
लेकिन मौसम तो झूम जाएगा
और कलियाँ भी खिलखिलायेंगी
मुकेश इलाहाबादी -------------
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