एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Tuesday, 24 July 2012
लाइलाज हो चुके थी ज़ख्म जो तूने दिए थे
लाइलाज हो चुके थी ज़ख्म जो तूने दिए थे
तेरी यादों के मलहम से कुछ आराम सा है
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment