एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 30 July 2012
हमारे पास न तो सलीका था न हौसला
हमारे पास न तो सलीका था न हौसला
वो तो तुम ही थे जो बढ़ के हाथ थामा था
तुम्हारे हौसले की हम दाद देते हैं, वरना
तुम वो किनारा थे और हम ये किनारा थे
मुकेश इलाहाबादी -------------
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