गर हवा बन गुलशन में बहूँ तो फूल तुम बनो दिल हमारा जो धडके तो धड़कन तुम बनो गर सवाल तुम्हारा मै बनू तो जवाब तुम बनो ग़ज़ल का काफिया मै बनू तो रदीफ़ तुम बनो .. ज़िन्दगी हमारी तुम्हारी अब बहे इस तरह, कि साहिल मै बनू तुम्हारा और नदी तुम बनो मुकेश इलाहाबादी ------------------------------
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