एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Thursday, 11 October 2012
शुक्रिया - आपने गम के आंसू तो बहाए
शुक्रिया - आपने गम के आंसू तो बहाए
वर्ना लोग तो मुह फेर लेते है -कह के
' किसी सिरफिरे आशिक का जनाज़ा है -
हमे क्या करना है '
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment