एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Thursday, 29 November 2012
वफ़ा जिनकी आखों में थी वो रहे उम्र बहर परदे में,
वफ़ा जिनकी आखों में थी वो रहे उम्र बहर परदे में,
जो बेवफा थे कम से कम हमसे मिलने तो आये !!!
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------
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