एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Saturday, 3 November 2012
रूठ कर बैठे हो तो हमनज़र क्या होगे ?
रूठ कर बैठे हो तो हमनज़र क्या होगे ?
हमसफ़र बनना है तो रूबरू हो जाइए !
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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