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Saturday, 2 February 2013

बेचैनियाँ मेरी आप पढ़ लो


 

बेचैनियाँ मेरी आप पढ़ लो
बिस्तर की सिलवटों से

देख लो दिल मेरा गौर से  
दर्द निहां है मुस्कुराहटों मे

अक्श देखता हूँ अक्शर अपना
तेरी आखों की  परछाइयों मे

मुकेश इलाहाबादी -----------------

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