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Monday, 4 February 2013

ज़िन्दगी बेमजा हो गयी,,

 

ज़िन्दगी  बेमजा  हो  गयी,,
सिर्फ सज़ा ही सज़ा हो गयी

रूठ के तुम चले गए हो , ,,
मुझसे क्या खता हो गयी ?

अब  तो तारे भी उदास हैं ,,
चांदनी जो लापता हो गयी

ज़माना तो  रूठा ही था ,,,,
मौत भी खफा हो गयी .....

ओढ़ ली अँधेरे की चादर ,,
रोशनी तो बेवफा हो गयी

देख कर कांटो का तेवर ,,
कली  खौफज़दा हो गयी ..

शब् भर मुस्कुराई रातरानी
सहर होते ही ग़मज़दा हो गयी

मुकेश इलाहाबादी -----------

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