हाथो में प्यार की हिना रचाए बैठी है
गोरी द्वार में रंगोली सजाये बैठी है
आसमानी आँचल में साजा के सितारे
माथे पे चाँद की बिंदिया लगाए बैठी है
आखों में जगमाते हुए उम्मीद के दिए
अधरों पे मधुर मुस्कान लिए बैठी है
सतरंगी चूड़ियों से भर भर के कलाई
हाथो में नेह के दीपक जलाए बैठी है
इंतज़ार का बदला भी तो लेगी गोरी
मन में कई झूठे उलाहने लिए बैठी है
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
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