दर्द से रिश्ता पुराना हो गया
दर्द से रिश्ता पुराना हो गया
मुस्कुराए हुए ज़माना हो गया
पल भर को नज़रें क्या मिली
दुनिया भर का फ़साना हो गया
जुल्फों ने तेरे गालों को चूमा
हवा का रुख तो बहाना हो गया
रात जूही की कुछ फूल क्या खिले
शहर का मंज़र सुहाना हो गया
हटा के नकाब जो तुमने था देखा
हर शख्श आपका दीवाना हो गया
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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