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Sunday, 3 March 2013

अपने अन्दर डूब के देखो


 अपने अन्दर डूब के देखो
धन दौलत  भूल के  देखो

अकड़ के यूँ  न बैठो  तुम
धींगा मस्ती कर के देखो

थोडा घर के बाहर आओ
जंगल पर्वत घूम के देखो

बच्चों  में  भगवान्  बसे हैं
प्रेम से उनको चूम के देखो

लाखों   मोती    छुपे हुए हैं
दिल दरिया में डूब के देखो

 मुकेश इलाहाबादी --------

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