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Wednesday, 3 April 2013

देख आँचल का खिलता हुआ जामुनी रंग


देख आँचल का खिलता हुआ  जामुनी रंग
कहर बन गयी मुस्कराहट की बादामी रंग

सुर्ख होठ, आबनूसी जुल्फें और गोरे गाल
आसमाँ पे ज्यों बिखर उठे इन्द्रधनुषी रंग

खिल उठी ज़मी आसमा से पा प्रणय पत्र
रोम - रोम पुलक उठा ओढ़ के धानी रंग

बेरंग  बेनूर हो गए गुलशन के  सारे फूल
जबसे बिखरे आपकी आखों मे शुर्मई रंग

मुकेश रंग सारे बह गए आंसुओं के संग
आज  फिर  मचल गए देख फागुनी रंग

मुकेश इलाहाबादी ---------------------

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