बातें छोटी छोटी लिख
सारी बातें अपनी लिख
दिन तनहा तनहा बीता
रातें रोती रोती लिख
पलकें भीगी भीगी रहती
आखें सूनी सूनी लिख
आग देह में जलती थी
तपती तपती गर्मी लिख
जाड़ा बीता आग तापते
तू सर्दी ठंडी ठंडी लिख
सावन जाए रीता रीता
झूला खाली खाली लिख
धधक रही हूँ विरहन मै
बिन रंगों की होली लिख
मुकेश इलाहाबादी------
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