Pages

Tuesday, 18 June 2013

रख के हथेली पे सूरज सोचता है



रख के हथेली पे सूरज सोचता है वो,सब कुछ सोख लेगा !!
उसे मालूम नहीं ये महबूब की आखें हैं कोई समंदर नहीं!!
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------------

No comments:

Post a Comment