देख कर अंजामे मुहब्बत औरों का हमने तौबा कर ली थी
देखा जो तुझे ख़याल अपना बदलना ही पडा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------ ----------
देखा जो तुझे ख़याल अपना बदलना ही पडा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------
No comments:
Post a Comment