एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 17 June 2013
दिल चन्दन जलाते रहे
दिल चन्दन जलाते रहे
प्यार को महकाते रहे
प्यार बूते पत्थर हमारा
पर प्रेम पुष्प चढाते रहे
रिश्तों के मंदिर मे हम
दीप विश्वास जलाते रहे
लाख दर्द दिल मे निहाँ
मगर हम मुस्काते रहे
ग़ज़ल के गुलदस्ते बना
तन्हाई को सजाते रहे
मुकेश इलाहाबादी ---
1 comment:
अरुन अनन्त
17 June 2013 at 11:09
आपकी यह रचना कल मंगलवार (18 -06-2013) को
ब्लॉग प्रसारण
पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
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