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Wednesday, 26 June 2013

कभी न कभी तो उन्हे मेरी कोई न कोई अदा पसंद आयेगी,

 

कभी न कभी तो उन्हे मेरी कोई न कोई अदा पसंद आयेगी,
इस उम्मीद पे हम रोज दर रोज खुद को संवारे चले जाते है
मुकेश  इलाहाबादी .........................................

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