मतले का शेर हमने तुमको बना लिया
मक़्ते मे फिर अपना नाम सजा लिया
नफ़स - २ मे तेरा नाम पिरोकर,खुद को
माले का आखिरी मनका बना लिया
घर मे तेरी यादें एहतियात से सजाकर
तेरे इंतज़ार मे हमने आखें बिछा लिया
मुहब्बत के आकाश मे तारे तो बहुत थे
तुझको हमने अपना चांद बना लिया
न शायरी का इल्म है, ग़ज़ल का शऊर
तेरे प्यार मे खुद को शायर बना लिया
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
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