मुददतों बाद होश मे घर गया
देख तन्हा घर दिल भर गया
फूल ने प्यार से क्या छू लिया?
दिल मेरा पत्थर था संवर गया
निस्तरंग स्वच्छ जल देख कर
चॉद झील की गोद मे उतर गया
देख कर छत पे तुझे मुसाफिर
भूल के मंजिल वहीं ठहर गया
था हमारा प्यार रेत का घरौंदा
पा हवा का झोंका बिखर गया
मुकेश इलाहाबादी ..............
देख तन्हा घर दिल भर गया
फूल ने प्यार से क्या छू लिया?
दिल मेरा पत्थर था संवर गया
निस्तरंग स्वच्छ जल देख कर
चॉद झील की गोद मे उतर गया
देख कर छत पे तुझे मुसाफिर
भूल के मंजिल वहीं ठहर गया
था हमारा प्यार रेत का घरौंदा
पा हवा का झोंका बिखर गया
मुकेश इलाहाबादी ..............
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