तेरी ऑखों, ने तेरी बातों ने, तेरे गोरे गालों ने और तेरी इन अदाओं ने,,
है किया मजबूर कि न चाह के भी खो जाऊं तेरी इन महकती सांसो मे
तेरी यादों ने तेरी हंसी ने तेरी खुशबू ने तेरे संग संग बिताये लमहों ने
है किया मजबूर कि न चाह के भी मै खो जाऊं इन तनहा बियाबानो मे
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------------------------------
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