एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 9 July 2013
वस्ले यार की बेचैनियॉ तो हम भी समझते हैं?
वस्ले यार की बेचैनियॉ तो हम भी समझते हैं?
ये अलग बात हमसे कोई मिलने नही आता !
मुकेष इलाहाबादी .........................
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