एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 21 October 2013
अफ़सोस ये नही हमको किनारा न मिला
अफ़सोस ये नही हमको किनारा न मिला
दुःख ये है कि तुमको भी सहारा न मिला
काँधे पे जुल्फें मासूम चेहरा बोलती आखें
मेले मे वो मासूम चेहरा दुबारा न मिला
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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