जिंदगी जीना सीख लिया
तेरे बगैर रहना सीख लिया
महफ़िलों मे हँसते ही रहे
छुप -२ के रोना सीख लिया
तुम्हारी यादों की डोर संग,
पतंग सा उड़ना सीख लिया
अपनी बातों को हमने भी,
ग़ज़ल में कहना सीख लिया
मुकेश इलाहाबादी -----------
तेरे बगैर रहना सीख लिया
महफ़िलों मे हँसते ही रहे
छुप -२ के रोना सीख लिया
तुम्हारी यादों की डोर संग,
पतंग सा उड़ना सीख लिया
अपनी बातों को हमने भी,
ग़ज़ल में कहना सीख लिया
मुकेश इलाहाबादी -----------
No comments:
Post a Comment