मोटी दीवार दरवाज़ा ऊंचा पाओगे
किले में तुम न खिड़कियाँ पाओगे
दरबान मिलेगा पै राजा न पाओगे
फ़रियाद ले कर जब वहाँ जाओगे
इत्र से महमाते मखमली लिबास,
तमाम चेहरों पे सिसकियाँ पाओगे
हर शख्श तुमको मशरूफ मिलेगा
दर्दे फ़साना सुनाने कहाँ जाओगे ?
है रात अंधेरी और चिराग भी गुल
तुम उजाला ढूंढने कंहाँ जाओगे ?
राजा भी रूठा औ ख़ुदा भी रूठा है
बोलो मुकेश अब कहाँ जाओगे ?
मुकेश इलाहाबादी -----------------
किले में तुम न खिड़कियाँ पाओगे
दरबान मिलेगा पै राजा न पाओगे
फ़रियाद ले कर जब वहाँ जाओगे
इत्र से महमाते मखमली लिबास,
तमाम चेहरों पे सिसकियाँ पाओगे
हर शख्श तुमको मशरूफ मिलेगा
दर्दे फ़साना सुनाने कहाँ जाओगे ?
है रात अंधेरी और चिराग भी गुल
तुम उजाला ढूंढने कंहाँ जाओगे ?
राजा भी रूठा औ ख़ुदा भी रूठा है
बोलो मुकेश अब कहाँ जाओगे ?
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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