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Monday, 13 January 2014

मोटी दीवार दरवाज़ा ऊंचा पाओगे

मोटी दीवार दरवाज़ा ऊंचा पाओगे
किले में तुम न खिड़कियाँ पाओगे

दरबान मिलेगा पै राजा न पाओगे
फ़रियाद ले कर  जब वहाँ जाओगे

इत्र से महमाते मखमली लिबास,
तमाम चेहरों पे सिसकियाँ पाओगे

हर शख्श तुमको मशरूफ मिलेगा
दर्दे फ़साना सुनाने कहाँ जाओगे ?

है रात अंधेरी और चिराग भी गुल
तुम उजाला ढूंढने कंहाँ जाओगे ?

राजा भी रूठा औ ख़ुदा भी रूठा है
बोलो मुकेश अब कहाँ जाओगे ?

मुकेश इलाहाबादी -----------------

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