दिल में ताज़ी हवा रक्खो
दिले दरीचा खुला रक्खो
इतनी मायूसी अच्छी नही
चरागे हौसला जला रक्खो
शख्शियत महक उट्ठेगी
गुले मुहब्बत खिला रक्खो
कोई भला करे या बुरा करे
अपने होठों पे दुआ रक्खो
ग़म अपना सूना सको तुम
ऐसा कोई इक ठिया रक्खो
मुकेश इलाहाबादी ----------
दिले दरीचा खुला रक्खो
इतनी मायूसी अच्छी नही
चरागे हौसला जला रक्खो
शख्शियत महक उट्ठेगी
गुले मुहब्बत खिला रक्खो
कोई भला करे या बुरा करे
अपने होठों पे दुआ रक्खो
ग़म अपना सूना सको तुम
ऐसा कोई इक ठिया रक्खो
मुकेश इलाहाबादी ----------
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