भले शिकवा करो शिकायत करो
यूँ खामोश न रहो कुछ बात करो
अनदेखा करके गुज़रना ठीक नही
कुछ और न सही दुआ सलाम करो
ज़िंदगी मशरूफ़ियत का ही नाम है
कभी कभी तो मेल - मुलाकात करो
मियाँ खाने ,कमाने, घूमने के सिवा
दुनिया याद करे ऐसा कोई काम करो
ज़िदंगी की तमाम भाग दौड़ के बीच
मुकेश बंदगी खुदा की शुबो शाम करो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
यूँ खामोश न रहो कुछ बात करो
अनदेखा करके गुज़रना ठीक नही
कुछ और न सही दुआ सलाम करो
ज़िंदगी मशरूफ़ियत का ही नाम है
कभी कभी तो मेल - मुलाकात करो
मियाँ खाने ,कमाने, घूमने के सिवा
दुनिया याद करे ऐसा कोई काम करो
ज़िदंगी की तमाम भाग दौड़ के बीच
मुकेश बंदगी खुदा की शुबो शाम करो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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