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Tuesday, 27 May 2014

एक अंधी सुरंग

एक अंधी सुरंग
सूखी तलहटी पाओगे
मै एक सूखा कुँआ हूँ
मुझसे कुछ न पाओगे

तुम दरिया हो
रास्ता बदल दो
मै एक सहरा हूँ
तुम भी सूख जाओगे

जाओ , खुले आकाश में उड़ जाओ
तुम्हे आज़ाद करता हूँ

मै इक बंजारा,
मुझसे कुछ न पाओगे

मुकेश इलाहाबादी ----

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