एक अंधी सुरंग
सूखी तलहटी पाओगे
मै एक सूखा कुँआ हूँ
मुझसे कुछ न पाओगे
तुम दरिया हो
रास्ता बदल दो
मै एक सहरा हूँ
तुम भी सूख जाओगे
जाओ , खुले आकाश में उड़ जाओ
तुम्हे आज़ाद करता हूँ
मै इक बंजारा,
मुझसे कुछ न पाओगे
मुकेश इलाहाबादी ----
सूखी तलहटी पाओगे
मै एक सूखा कुँआ हूँ
मुझसे कुछ न पाओगे
तुम दरिया हो
रास्ता बदल दो
मै एक सहरा हूँ
तुम भी सूख जाओगे
जाओ , खुले आकाश में उड़ जाओ
तुम्हे आज़ाद करता हूँ
मै इक बंजारा,
मुझसे कुछ न पाओगे
मुकेश इलाहाबादी ----
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