एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 26 May 2014
जीवन इक प्यास है
जीवन इक प्यास है
बस तुमसे ही आस है
तुम साथ- साथ हो
ज़िंदगी मधुमास है
बिखेर दो लटों को
हर साँस सुवास है
तुम्हारा संग साथ
लगता कुछ ख़ास है
रात काली ही सही
तू है तो उजास है
मुकेश इलाहाबादी --
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