एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Sunday, 29 June 2014
माज़ी का इक - इक धागा चुनता हूँ
माज़ी का इक - इक धागा चुनता हूँ
फिर यादों की झीनी चादर बुनता हूँ
तुम मुझको भूल गए हो लेकिन,पर
मै हर शाम तुम्हारी ग़ज़लें सुनता हूँ
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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