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Sunday, 1 June 2014

इंकार में ग़म से मर जाना है

इंकार में ग़म से मर जाना है , और इक़रार में खुशी से
मुकेश न थाम इश्क़ का खंज़र इसके दोनों तरफ धार है
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------

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