एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Saturday, 28 June 2014
खुश्बुओं के पाँव नहीं महक होती है
खुश्बुओं के पाँव नहीं महक होती है
ढूंढ लेना तुम इन्हे अपनी साँसों में
मुकेश इलाहाबादी -------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment