ये तो कहो तीरगी ऐ हिज़्र में तेरी यादें जुगनू बन के चमकती हैं,,,
वर्ना हम तो अब तक खो गए होते मुकेश ग़म की अंधेरी रिदा में
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------------------
वर्ना हम तो अब तक खो गए होते मुकेश ग़म की अंधेरी रिदा में
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------------------
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