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Tuesday, 12 August 2014

ये तो कहो तीरगी ऐ हिज़्र में तेरी यादें जुगनू बन के चमकती हैं,,,

ये तो कहो तीरगी ऐ हिज़्र में तेरी यादें जुगनू बन के चमकती हैं,,,
वर्ना हम तो अब तक खो गए होते मुकेश ग़म की अंधेरी रिदा में

मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------------------

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