अब तो घर- घर बाज़ार हो गए
हम भी बिकने को तैयार हो गए
धर्म और ईमां की बातें मत करो
सब विक्रेता और खरीदार हो गए
जुबां से हलके हो गए तो क्या ??
जेब से तो हम वज़नदार हो गए
सारे चोर, उच्चक्के और बेईमान
आज इज़्ज़त औ रुतबेदार हो गए
झूठ और फरेबियों के बीच मुकेश
सच बोलने के गुनहगार हो गए
मुकेश इलाहाबादी --------------------
हम भी बिकने को तैयार हो गए
धर्म और ईमां की बातें मत करो
सब विक्रेता और खरीदार हो गए
जुबां से हलके हो गए तो क्या ??
जेब से तो हम वज़नदार हो गए
सारे चोर, उच्चक्के और बेईमान
आज इज़्ज़त औ रुतबेदार हो गए
झूठ और फरेबियों के बीच मुकेश
सच बोलने के गुनहगार हो गए
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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