लख -लख जनम दिन मनाते रहिये कान्हा जी
थोड़ी भक्तों पर भी दया बनाये रखिये कान्हा जी
तुम तो खाते हरदम दूध, मलाई, मक्खन मिश्री
हमको भी तो थोड़ी छांछ पिलाते रहिये कान्हा जी
पूतना कंस बकासुर तुमने मारे बहुत हैं दवापर में
कलयुग के भी असुरों का तो वध करिये कान्हा जी
पोटली भर तंदुल तुमको दे कर राजा भयो सुदामा
हम भी लाये पत्रं पुष्पम,कुछ तो दीजिये कान्हा जी
तुम तो सखियों के संग बैकुंठ में बैठे हो रास रचाते
हमको भी इक दो सखियों से मिलवाइये कान्हा जी
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------
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